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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
अभिनव राजवंश
@abhinaw.rajwansh
कैशलेस सोसाइटी के साथ 'शेमलेस' समाज भी
31 दिसम्बर की रात या कहें की साल 2017 की शुरुआत ही ऐसी घटना से हुई जो पूरे समाज को शर्मशार करने के लिए काफी है. महिलाओं को लेकर देश में कितने इंतजाम हैं इसकी पोल तो आंकड़े खोल रहे हैं, फिर हम कैशलेस हो रहे हैं या 'शेमलेस'?
टेक्नोलॉजी
| 4-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
नोटबंदी की बहस के बीच डिजिटल क्रांति शुरू हो चुकी है
नोटबंदी के 50 दिन बाद नफा और नुकसान की गणना तो सरकार कर ही लेगी, लेकिन जो बात वाकई तारीफ के काबिल है वो ये कि 50 दिनों में ही भारत ने डिजिटल पेमेंट में कई गुना तरक्की कर ली है. ये किसी भी देश के लिए गर्व की बात हो सकती है.
ह्यूमर
| 2-मिनट में पढ़ें
डॉ महेंद्र मधुकर
इतिश्री नकद नारायण कथा
हे श्रोतागण, इस नकद नारायण कथा के श्रवण से धन की लालसा से मुक्ति मिल जाती है, अहंकार नष्ट हो जाता है.
समाज
| 4-मिनट में पढ़ें
अबयज़ खान
@abyaz.khan
नेपाल सीमा से सटे इलाकों में नोटबंदी का असर
नेपाल बॉर्डर के पहाड़ी इलाकों में मोबाइल कंपनियों के टॉवर ही नहीं है, जब यहां फोन ही काम नहीं करते तो ऑनलाइन शॉपिंग, कार्ड, स्वाइप मशीन और पेटीएम वगैरा के बारे में सोच ही नहीं सकते. हद तो ये है कि इस इलाके के लोग बीएसएनएल के अलावा नेपाल के सिम का इस्तेमाल करते हैं.
टेक्नोलॉजी
| 4-मिनट में पढ़ें
श्रुति दीक्षित
@shruti.dixit.31
नोटबंदी के बाद चोरी भी होगी डिजिटल
नोटबंदी के बाद मोबाइल फ्रॉड में 65% तक का इजाफा हो सकता है, भारत में कोई भी ई-वॉलेट पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. तो क्या चोरी भी अब डिजिटल होगी? किस तरह से हो सकता है फ्रॉड और क्या हो सकते हैं बचने के तरिके?
समाज
| 5-मिनट में पढ़ें
आशुतोष मिश्रा
@ashutosh.mishra.9809
कैश और कैशलेस के बीच फंसा आम आदमी
कैशलेस अर्थवयवस्था के लिए देश कितना तैयार है और कितनी तैयार है सरकार, इसका रिएलिटी चेक होना बेहद जरूरी है. जानिए कि अगर मौजूदा व्यवस्था में जेब में कैश न हो तो क्या होगा?
इकोनॉमी
| 6-मिनट में पढ़ें
महेश तिवारी
@mahesh1197
कैशलेस की डगर आसान नहीं
कैशलेस सोसाइटी के सपने देखना एक बात है और इसे पूरी तरह से लागू करना दूसरी. क्या भारत में वाकई इतने साधन हैं कि वो एक कैशलेस अर्थव्यवस्था बन पाए?
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
अरविंद मिश्रा
@arvind.mishra.505523
कैश की आस छोड़ दें क्या मोदी जी ?
सरकार इस बात से सशंकित हो सकती है कि बड़ी मात्रा में नये करेंसी नोट फिर से काला धन इकट्ठा करने वालों के पास न पहुंच जाए और सरकार कि किरकिरी और बढ़ जाए.
इकोनॉमी
| 4-मिनट में पढ़ें
ऑनलाइन एडिक्ट
ओला एटीएम, मोबाइल बैंक, ये ही काफी नहीं नोटबंदी के दौर में ?
नोटबंदी का एक महीना तो पूरा हो चुका है. सरकार और विपक्ष सभी अपनी-अपनी राजनीति करके थक चुके हैं, लेकिन सवाल अभी भी यही है कि क्या जो कुछ भी सरकार ने किया वो काफी है? अगर हां तो लोग परेशान क्यों हैं?